A Simple Key For अनिद्रा से हैं परेशान तो अपनाएं यह उपाय Unveiled



विकृत चेतना और उन्माद के रोगियों में एक विशेष लक्षण यह होता है कि अकारण ही उन्हें चिंता बनी रहती है। बुढ़ापे तथा अन्य कारणों से मस्तिष्क-अवनति में, अच्छी नींद आने पर भी लोग बहुधा शिकायत करते हैं कि नींद आई ही नहीं। (दे.सिं.)

#४ नियमित दिनचर्या में बदलाव कई बार व्यक्ति को नींद में बढ़ा डाल देते हैं। बदलाव जैसे कि कार्य के समय में बदलाव, सोने के स्थान अथवा बिस्तर में बदलाव, अत्यधिक यात्रा इत्यादि नियमित एवं स्वस्थ नींद में बाधक हैं।

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जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार से अनिद्रा (नींद न आना) के कई मामलों का अच्छी तरह से इलाज किया जा सकता है। सर्वोत्तम परिणामों के लिए हर्बल चाय, गर्म दूध और खसखस ​​को आजमाया जा सकता है।

अनिद्रा के दीर्घकालिक प्रभाव अत्यधिक गंभीर होते हैं जो खराब शारीरिक और मानसिक समन्वय का कारण बनते हैं, निर्णय लेने में संघर्ष करते हैं। अनिद्रा के मनोवैज्ञानिक प्रभाव चिंता, अवसाद और यहां तक ​​कि आत्मघाती विचार भी हैं।

लंबे समय तक अनिद्रा कुछ गंभीर बीमारियों जैसे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा और हृदय संबंधी अन्य समस्याओं का कारण बन सकती है।

अनिद्रा के कारणों में मनोवैज्ञानिक कारक, दवाएं और हार्मोन का स्तर शामिल है।

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किसी भी दवा, सप्लीमेंट्स और व्यायाम दिनचर्या के लिए अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें। गर्भावस्था के दौरान अनिद्रा आमतौर पर होती है और यह बच्चे के विकास को भी प्रभावित नहीं करती है।

नींद पर रोक – यह उपचार आपके बिस्तर में बिताए जाने वाले समय को घटाता है और दिन की नींद से बचाता है, जिससे आंशिक नींद का अभाव होता है और आप अगली रात बहुत थका हुआ महसूस करते हैं। एक बार आपकी नींद में सुधार हो जाये, तो आपके सोने का समय धीरे-धीरे बढ़ाया जाता है।

अनिद्रा को भगाने के लिए शरीर में कुछ पॉइंट्स हैं जिनपर दबाव पड़ने से विशेष ग्रंथियों में ऊर्जा एवं रक्त संचार बढ़ता है तथा नींद आ जाती है।

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चिकित्सक अनिद्रा के साथ कई अन्य संकेतों और लक्षणों को भी जोड़ देते हैं। अक्सर ये लक्षण अन्य चिकित्सकीय या मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों में उलझन पैदा कर सकते हैं।

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